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राजस्थान में खेलों का कोई महत्व क्यों नहीं है?

 लुप्त हो रहे हैं ग्रामीण खेल :-ग्रामीण क्षेत्र मे आधुनिक खेलों की चकाचौंध के आगे परम्परागत ग्रामीण खेल तेजी के साथ लुप्त होते जा रहे हैं।जेसे क्रिकेट, बैडमिंटन  खेल तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। इनमें भी क्रिकेट का बुखार तो छोटे मोटे गांवों तक में फैल गया है। खेल विभाग की उपेक्षा एवं उदासीनता के कारण परम्परागत खेलों में बच्चों की रुचि समाप्त होती जा रही है। स्कूलों में भी इन खेलों को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है। समाजसेवी डॉ. सुरेश सिंह टेड़वा निवासी कहते हैं कि पहले शाम होते ही गांवों में खेल का जो शमां बंधता उससे बुजुर्गो का मन भी उमंगित हो पड़ता था। कबड्डी का एक दाव खेलने को उनका बूढ़ा मन भी जवान हो उठता था। कभी शाम होते ही ग्रामों में कबड्डी-कबड्डी आदि जोश और उत्साह से भरी आवाजें कभी कभार ही सुनाई पड़ती थी। बिना किसी प्रकार के खर्च वाले इस खेल में प्रतिभागियों को अपनी शक्ति व शौर्य के साथ शारीरिक व मानसिक कुर्ती का प्रदर्शन करना पड़ता है। ग्रामीणों का यह प्रमुख खेल उनकी दिनचर्या से धीरे धीरे बाहर हो गया है।


गावो मे खेले जाने वाले खेल :- 

ग्रामों में खेले जाने वाले खेल कबड्डी, कटिया, लपची-डंडा, अटाई-डंडा, गुल्ली डंडा, चोर-सिपाही, लुका छिपी, ऊंची8 कूद, लंबी कूद, रस्सी- कूद, बांस-कूद, रस्साकसी, कुश्ती, खो-खो, जलेबी दौड़, कुर्सी-दौड़, लगंड़ी दौड़ आदि न जाने कितने खेल प्रचलित ये बिना व्यय वाले इन सर्व शुलभ खेलों में जितना शारीरिक व मानसिक विकास होता था उतना आज के बेहद खर्चीले खेलों से शायद ही हो पाता हो। आधुनिक की चकाचौंध और टेलीविजन के व्यापक, प्रचार प्रसार से बच्चों के पसंदीदा खेल चोर-सिपाही, लुका छिपी, ऊंचा नीचा, खो-खो आदि भी सिमटते जा रहे हैं। बच्चे अब खेलों की अपेक्षा टीवी देखना अब ज्यादा पसंद करने लगे हैं। खिलाड़ियों का चारित्रिक, मानसिक एवं शारीरिक विकास करने वाले अन्य ग्रामीण खेल दौड़, कुश्ती, कटिया, तैराकी, रस्सा खींच, ऊंची कूद, बांस कूद, निशानेबाजी, रस्सी कूद, अटाई डंडा आदि न जाने खेल समय के साथ सिमटते जा रहे हैं। पारंपरिक खेलों में गिरावट आदि के अनेक कारण हैं। जिनमें आज की भौतिकवादी गतिशील जिंदगी में समय की कमी, क्रिकेट, हाकी, बैडमिंटन आदि

गहलोत सरकार हुई खिलाड़ियों पर मेहरबान  इनामी राशि 4 गुना तक बढ़ाई :-

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने खिलाड़ियों के लिये बड़ा फैसला लेते हुयेओलम्पिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल जैसे अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वालों के लिये इनाम की राशि 4 गुना तक बढ़ा दिया है।
 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राजस्थान का नाम रोशन करने वाले प्रदेश के खिलाड़ियों को दी जाने वाली इनामी राशि में बढ़ोतरी का राजस्थान सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय किया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट पर जानकारी देते हुये बताया है कि ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर दी जानी वाली 75 लाख रूपये की राशि को बढ़ाकर 3 करोड़ रूपये, रजत पदक जीतने पर दी जाने वाली राशि को 50 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़ रूपये तथा कांस्य पदक जीतने पर दी जाने वाली राशि को 30 लाख रूपये से बढ़ाकर एक करोड़ रूपये करने को मंजूरी दी है।

खेलों को बढ़ावा देने के लिए गहलोत सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम, 45 हजार से ज्यादा गांव खेलेंगे हॉकी- कबड्डी :- 

सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की बजट घोषणा के मुताबिक राज्य में ग्रामीण खेलों (Rural games) का आयोजन नवंबर महीने में प्रस्तावित है. इन खेलों में प्रदेश के 50 हजार गांवों और पंचायतों के करीब 15 से 20 लाख खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। 

  • * राजस्थान में भी ओलपियन बनाने की तैयारी
  • * होगा ग्रामीण खेलों का आयोजन
  • * 45 हजार गांव खेलेंगे हॉकी कबड्डी जैसे गेम्स
  • * हर खिलाड़ी को किट, जीते तो इनाम में स्टेडियम

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